रसोई में हलचल तौलिये में सालीजी

 

Part 6         

 

सुबह के 8 बजे थे, में अभी भी बिस्तर पर था l बीबी काम पर जल्दी चली गई थी l साली जी कि साथ पुस्तकालय जाना था,शायद बह अभी भी सो रही थी lमैंने बिस्तर पर ही कुछ काम करने लगा, लैपटॉप मेरे पास में ही थाl कुछ काम करने पश्चात् मैंने रसोई में जाकर चाय बनाने का निर्णय किया l

 साली जी पहले से ही रसोई में थी, चाय का पानी उबल रहा थाl में उसके पीछे जा खड़ा हुआ l

           “गुडमॉर्निंग जीजू”उसने मुस्कुराते हुए कहाँ l

           “गुडमॉर्निंग ” तुम इतना जल्दी उठ गई,मैंने उस  की तरफ देखते हुए कहा l

           “हा,में रात ठीक से सो नहीं सकी l”

            “क्या हुआ तुम ठीक तो हो?”

            “हां जीजू,बहुत अच्छी l”

क़ल शाम को जो हुआ, उसके बाद तुम्हे नींद कैसे आ सकती थी ,असली सख्त लंड देखने के बाद चूत कैसे सोने देगी l पोर्न तो अब फीका लगने लगी होंगी l में सोच रहा था l

           शायद मेरी पत्नी ने उससे कहा था चाय कि लिए l मैं चुप चाप उसके पीछे खड़ा उसकी हिलती गाँड़ को देख रहा था l पाजामा आज भी गाँड़ की दरार में फ़स रहा था, उसकी गाँड़ काफ़ी बाहर को थी इसलिए बीच की दरार और गहरी नज़र आती थी, गाँड़ के गोल भी थोड़ा ऊपर – नीचे हो रहे थे l

                 “जीजू मुझे वह सफ़ेद जार देना” उसने अपना हाथ उठाते हुऐ कहाl

 में उससे लम्बा था, मेरा शरारती मन हमेशा उसे छूने के कारण ढूंढ़ने में लगा रहता थाl मैंने जानबूझकर दूसरा हल्दी बाला जार गिरा दिया, कुछ हल्दी हमारे ऊपर आ गिरी l

         “ओह जीजू!” बह चिल्लाई l

        वो मेरी शर्ट साफ करने लगी, फिर पायजामा छूने लगी, मेरा लंड कुछ सख्त होने लगा था, उसे भी मेरे लंड को छूने का मौका था, जिसका उसने भरपूर उपयोग किया l मेरा पायजामा ऊपर उठ रहा था और उसे  सफई करने में मज़ा आने लगा था, उसका हाथ मेरे लंड के आस पास गुम रहा था l

       “अरे तुम्हरी पीठ पर भी है”में उसकी पीठ मर हाथ फेरते बोला l

        में उसकी पीठ मर हाथ फेरने लगा, वह थोड़ा झुकी , अब उस की गोल गाँड़ मेरी तरफ थी , मेरे कठोर लंड और उसकी गाँड़ में बस कुछ सेंटी का ही अंतर था, जैसे में अपना हाथ हिला रहा था, लंड और गाँड़ का अंतर भी कम हो रहा था , अब मेरा लंड पूरी तरह से सख्त हो गया था, फिर एक ही झटका से उसने अपनी गोल गाँड़ से मेरे लंड को दबा लिया l मेरे शरीर में कुछ अजीब सा करंट दौड़ गया, मेरा लंड अब उसकी गाँड़ की दरार पर था, मेरा हाथ हिलने से बहा कुछ रगड़ भी लगरही थी l वह चुपचाप उबलती चाय को देख रही थी और लंड को जोर से दबा रही थी, मेरे लंड को उसकी गांड की गर्माहट महसूस होने लगी थी,कुछ क्षण ऐसे ही चलता रहा वो अपनी गाँड़ लंड से रगड़ती रही l शायद वह चाहती थी मैं आगे कुछ करू, लेकिन मैं  भी ऐसे ही लगा रहा l

         “जीजू तुम अपने कपड़े बदल लो, में चाय लाती हूँ” उसने सीधी खड़े होते कहा l

         में अपने कमरे में जाने लगा, मुझे साली जी की चूत की पुकार और सुगंध जोर से आ रही थी लेकिन अभी भी सफर लंबा था l
         मैंने स्नान किया और कपड़े बदले, फिर मै मेज की ओर जाने लगा , वह मेज़ पर बैठी थी, उसने नाश्ता भी तैयार कर लिया था l

                    “आपने बहुत तेजी से सब बना लिया l “

          में बैठ कर खाने लगा, वह मुस्कराती रहीl वह कुछ नहीं बोली, शायद वह रसोई की घटना के बारे में सोच रही थी और चाहती थी कि मैं कुछ कहूँ, इस बार उसकी गाँड़ और मेरा लंड बहुत अच्छे से टच हुऐ थे l मुझे यकीन था कि उसने मेरे सख्त लंड को अच्छे से महसूस किया था l

           “कैसा था ब्रेकफास्ट ?”उसने मुझे देखते हुए पूछा l

          “बहुत अच्छा,मुझे तो आप का सब कुछ पसंद आया l”

           “मुझे भी”वो जोर से हंसी l फिर वह खड़ी हुई और नहाने चली गई l कुछ समय बाद हमें पुस्तकालय जाना था l
     में ड्राइंगरूम में बैठ कर अपना ऑफिस का काम करने लगा l

             वाशरूम का दरवाज़ा पास में ही था, में आसानी से देख सकता था l वह अंदर गई लेकिन उसने दरवाज़ा पूरी तरह से बंद नहीं किया l मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी l यदि वह मेरे पास नग्न हो आई,ओर अगर उसने मुझसे अंदर आने को कहा l कुछ भी हो, में उसे चोदुँगा, मैंने फैसला कर लिया था, मैं दरवाजे की ओर देख रहा था l
      फिर उसने अपनी ब्रा बाहर टोकरी में फ़ेंक दी, फिर पैंटी,फिर बाक़ी सबकुछ l
मेरा लंड सख्त हो चुका था, जैसे जैसे पानी कि गिरने की आवाज आ रही थी,लंड जोर से  झटके ले रहा था l कुछ समय बाद बो तौलिया में बाहर आई, उसने मेरी तरह देखा, मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई l
मुझे यकीन था कि वह मेरी स्थिति जानती थी,मेरे लिए उसके वाशरूम मे जाना आसान नहीं था l
मैंने फिर से अपना ऑफीस का काम शुरू कर दिया l
कुछ समय बाद वह कमरे से बाहर आई ओर हम पुस्तकालय को निकल पड़े l     

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