महिलाओं की योनि में उम्र बढ़ने के साथ कई महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं, जो शारीरिक और हार्मोनल बदलावों के कारण होते हैं। यह परिवर्तन सामान्यतः 40 वर्ष की आयु के बाद शुरू होते हैं और मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के दौरान अधिक स्पष्ट हो जाते हैं। यहाँ पर इन परिवर्तनों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
एस्ट्रोजेन का स्तर कम होना
जैसे-जैसे महिलाएं उम्र बढ़ाती हैं, उनके शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन का उत्पादन कम होने लगता है। यह हार्मोन योनि की स्वास्थ्य और कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एस्ट्रोजेन की कमी से निम्नलिखित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं:
- योनि का सूखापन: एस्ट्रोजेन की कमी से योनि में प्राकृतिक चिकनाई कम हो जाती है, जिससे सूखापन और जलन महसूस हो सकती है.
- योनि दीवारों का पतला होना: समय के साथ, योनि की दीवारें पतली हो जाती हैं, जिससे यौन संबंधों के दौरान दर्द या असुविधा हो सकती है.

योनि में लचीलापन और इलास्टिसिटी में कमी
उम्र बढ़ने पर योनि की लचीलापन और इलास्टिसिटी कम होती जाती है। इससे यौन संबंधों का अनुभव कम आनंददायक हो सकता है। यदि महिलाएं सक्रिय रूप से यौन जीवन बनाए रखती हैं, तो इस समस्या को कुछ हद तक रोका जा सकता है.
संक्रमण का खतरा बढ़ना
एस्ट्रोजेन के स्तर में कमी से योनि के ऊतकों की सुरक्षा भी प्रभावित होती है, जिससे बैक्टीरियल वेजाइनोसिस (BV) और अन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। कमजोर वल्वा टिश्यू यूरेथ्रा को सुरक्षित नहीं रख पाते, जिससे मूत्राशय संक्रमण (UTI) जैसी समस्याएँ आम हो जाती हैं.
पेशाब करने में कठिनाई
पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों की कमजोरी भी एक सामान्य समस्या बन जाती है। इससे महिलाओं को पेशाब करने में कठिनाई या असंयम जैसी समस्याएँ हो सकती हैं.
खुजली और जलन
बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं को अक्सर खुजली और जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति आमतौर पर सूखापन या संक्रमण के कारण होती है.
यौन इच्छा में कमी
कुछ महिलाओं को मेनोपॉज के बाद यौन इच्छा में कमी महसूस होती है। यह हार्मोनल बदलावों और शारीरिक असुविधाओं का परिणाम हो सकता है.
पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों की कमजोरी
उम्र बढ़ने पर पेल्विक फ्लोर मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं, जो गर्भाशय और अन्य अंगों को सपोर्ट करती हैं। इससे गर्भाशय या अन्य अंगों का गिरना (पोलैप्स) भी संभव होता है.
इन सभी परिवर्तनों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि महिलाएं अपनी स्वास्थ्य देखभाल कर सकें और आवश्यकतानुसार चिकित्सकीय सलाह ले सकें।