चंचल साली जी के अंगों पर आइसक्रीम
Part 4
सुबह में ओफीस जल्दी पहुंच गया, पत्नी की दो छुट्टियां थी उसका साली जी के साथ शॉपिंग जाने का प्लान था l
मैं ओफीस में बैठा सोच रहा था,साली जी भी हस्तमैथुन करती थी ,मुझे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन मैंने खुद देखा था, बो कोई सपना तो था नहीं, बो बॉयफ्रेंड भी तो रख सकती थी,शायद बह अपना कौमर्य खोना नहीं चाहती थी,तभी मुझे फ़ोन पर मैसेज आया l
“गुडमॉर्निंग जीजू”, साली जी का मैसेज था l
“गुडमॉर्निंग डिअर”,मैंने भी जवाब लिख दिया l
मेरे पास मेज़ पर कुछ कागज़ थे में उनको पड़ने लगा,फिर मैं दिन भर काम में व्यस रहा l
शाम का समय था,में घर पर सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था,बीबी रसोई में खाना बना रही थी l साली जी कमरे में आई,उसके हाथ में दो आइसक्रीम की कोन थी l
“जीजू, मुझे पता है आपको स्ट्राबेरी पसंद है” अपना बदन जोर से हिला कर, मुझे एक आइसक्रीम देते हुए कहाँ l
उसके फ्री मम्मे जोर से हिलने कि बाद जो अपने स्थान पर बापस जा चुके थे,देखते मैंने आइसक्रीम पकड़ी l
फिर बह मेरे बाईं ओर कुर्सी पर बैठ गयी, उसने अपने पैर मेज पर रख दिए , आज उसने छोटा काला टॉप और स्लेटी पायजामा पहना हुआ था, टॉप और पायजामे के बीच उसका गोरा पेट नज़र आ रहा था, उसकी गहरी नाभि उसे और अधिक आकर्षक बनाती थी, उसके लंबे बाल उसके कंधों पर थे, शरीर के साथ हिलते मम्मे बता रहे थे कि आज वो कैद से मुक़्त हैं l कभी कभी बह मेरी तरफ देखती और अपने शरीर को जोर का झटका देती , बह सोचती थी में उसके हिलते मम्मे देखूगा l में ऐसा नहीं कर रहा था, बह थोड़ी उदास थी l शायद वह मेरा ध्यान अपने ओर खींचना चाहती थी l
फिर उसने अपने आइसक्रीम कोन को थोड़ा नीचे की ओर कर लिया l कुछ ठंडी दूध की बूँदे उसके गोरे पेट पर गिरने लगी , उसका पेट मेरे सामने था l मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी l कुछ दूध कि बूंदें उसकी नाभि के पास रुक गई और कुछ नीचे चूत की और बहने लगी थी l बह चुपचाप बैठी थी, अब दूध उसके पायजामे को छूने लगा था l
बह टिशू लेने के लिए खड़ी हुई, उसका पजामा टाइट नहीं था, बह मध्य से चूत की और झुक रहा था जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था, मेरा लंड सख्त हो रहा थाl बह पेट पर ऊपर – नीचे हाथ फेर रही थी,कभी कभी थोड़ा हाथ पायजामा में भी ले जाती थी l
मेरा लंड पूरी तरह सख्त हो गया था l मेरा पायजामा ऊपर हो रहा था, में रोकने में असमर्थ था, वह गहराई से मुस्कुरा रही थी l
में जानता था,वह मेरे कठोर लंड को देख चुकी थीl शायद वह यही देखना चाहती थी, वह अपना हाथ थोड़ा पायजामा में डाले बैठी थी l
फिर बह अपना हाथ अपनी पीठ पर फेरने लगी l
“जीजू देखो न पीठ पर क्या है?” उसने खड़े होकर पूछा l
उसकी पीठ मेरी तरफ थी, उसका पायजामा ढीला था जो उस की बड़ी गोल गाँड़ पर गिर रहा था, गाँड़ की दरार थोड़ी नज़र आ रही थी l वह अपनी गाँड़ हिला हिला कर पूछ रही थी l
“देखो न जीजू” l
मैंने अपना हाथ उस की पीठ पर फेरा, “सालीजी,मुझे तो कुछ नज़र नहीं आया ,” मैंने धीरे से कहाँ l
फिर वह बापस बैठ गई, मेरा लंड पूर्ण सख्त हो चूका था, वह उसे देख मुस्करा रही थी शायद मेरा ऊपर उठा पायजामा उसे उत्तेजित करता था l मैं चुप चाप टीवी देखता रहा l
तभी मेरी पत्नी कमरे में आई और खाना खाने को कहने लगी l फिर हम रसोईघर की और जाने लगे l