मेरी सेक्सी पड़ोसी पूनम(+18)

 

उसने अपने कमरे की खिड़की खोली। वह अपने पड़ोसी के घर में सुंदर छोटा बगीचा देखकर प्रसन्न हुआ। वहां बहुत सारे रंग-बिरंगे फूल थे, उसने कुछ देर तक देखा और सोचा कि इतने सुंदर बगीचे की देखभाल कौन कर सकता है, फिर वह यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि लगभग उन्नीस साल की खूबसूरत युवा लड़की वहां आई ।

सुनील लगभग पैंतीस साल का आदमी था। उसने शहर में कमरा किराए पर लिया। यह उसका नए कमरे में पहला दिन था। वह कॉलेज में शिक्षक था l लड़की अभी भी बगीचे में घूम रही थी और फूल देख रही थी। सुनील का कमरा ऊपर की मंजिल पर था, वह उसे बिना पता चले देख सकता था, वह उसकी गतिविधियों को देखता रहा। फिर वह पेड़ के पीछे बैठ गई, उसने इधर-उधर देखा। शायद वह घर पर अकेली थी। उसने अपना टॉप उतार दिया, सुनील की दिल की धड़कन बढ़ने लगी। वह स्पष्ट रूप से उसकी नीली ब्रा को उसके स्तनों के चारों ओर कसी हुई देख सकता था। फिर उसने अपना पायजामा उतार दिया और कालीन पर लेट गई, वह उसके नीले अंडरवियर में उसकी उभरी हुई योनि को देखकर उउत्तेजित होने लगा , उसकी गोरी त्वचा सूरज की रोशनी में चमक रही थी। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

यह सुनील के लिए एक सपने जैसा था। वह खिड़की से हिलना नहीं चाहता था। कुछ मिनटों के बाद वह अपने पेट के बल पलट गई। उसके सुंदर उभरे हुए सेक्सी नितंब ऊपर उठे हुए थे। वह पेड़ की छाया मे धीमी धूप का आनंद ले रही थी l 

उसने लगभग एक घंटे तक आनंद लिया। फिर वह अंदर चली गई। सुनील फिर से अपने कमरे को व्यवस्थित करने लगा। उसके दिमाग में बार-बार वो लड़की घूम रही थी, उसने उस लड़की को जानने का फैसला किया।

वह वहां नया था,उस लड़की से बात करना उसके लिए आसान नहीं था l 

अगली सुबह जब वह उठा और खिड़की के पास गया। बगीचा खाली था, वह अपना काम करने लगा। करीब दस बजे किसी ने उसका दरवाजा खटखटाया। वह उस खूबसूरत लड़की को अपने दरवाजे पर खड़ा देखकर आश्चर्यचकित रह गया। 

उसने नम्रता से पूछा,” क्या आप शिक्षक मिस्टर सुनील हैं? “

“हाँ हाँ, कृपया अंदर आएँ। क्षमा करें मेरा कमरा अभी तक तैयार नहीं है”। 

“ठीक है सर, मैं सिर्फ पूछने आई थी । मैं वनस्पति विज्ञान का छात्र हूं, मैंने सुना आप वह भी  पड़ाते  हैं, क्या आप कृपया मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं? आप  हमारे घर आ सकते हैं। मैं पुनूम हूं, पड़ोस में रहती हूं”। “ठीक है, पूनम, मैं शाम को तुम्हारे घर आऊंगा, फिर हम बात करेंगे”। वह चली गई।

सुनील उसे दोबारा देखने के लिए उत्सुक था। वह शाम का इंतजार कर रहा था l कई बार बह खिड़की के पास गया लेकिन वह वहां नहीं थी। शाम के छह बजे थे,सुनील ने पूनम के घर का दरवाज़ा खटखटाया। एक बूढ़ी औरत ने दरवाज़ा खोला। 

“हेलो आंटी, मैं  बनस्पति का टीचर सुनील हूं। क्या मैं पूनम से मिल सकता हूँ, वह मेरी छात्रा है”l

“बेटा,वह तो दो महीने पहले बगीचे में सांप के काटने से मर गई थी”। बुढ़िया ने भीगी आँखों से कहा l 

सुनील के पास कहने को कुछ नहीं था, वह बुढ़िया के सामने मूर्ति की तरह खड़ा था।