सूरज की साजिश- रिया के बड़े, सेक्सी नितंब
भाग 8
सूरज ऑफिस में अपनी टेबल पर बैठा था, कंप्यूटर स्क्रीन पर झुका हुआ, जैसे रोज़ की तरह अपने काम में डूबा हुआ हो। बाहर हल्की बारिश हो रही थी, खिड़की पर गिरती बूंदें एक सुकून भरा संगीत रच रही थीं। तभी उसकी सहकर्मी, रिया, कुछ फाइलें लेकर उसके डेस्क की ओर आई। उसके चेहरे पर हमेशा की तरह हल्की मुस्कान थी—वो मुस्कान जो सूरज को कभी-कभी उलझन में डाल देती थी।
रिया अक्सर सूरज से हल्की-फुल्की बातें करती थी, कभी चाय के बहाने, कभी किसी प्रोजेक्ट की चर्चा करते हुए। सूरज जानता था कि रिया उसे पसंद करती है, लेकिन वो खुद भावनाओं को लेकर थोड़ा उलझा हुआ था। उसे रिया की आत्मविश्वास भरी चाल, उसकी स्पष्टता और काम के प्रति समर्पण पसंद था, लेकिन वो खुद को उससे जुड़ने से रोकता रहा।
जब रिया फाइलें देकर पीछे मुड़ी, सूरज ने उसकी ओर देखा l उसमें केवल एक ही चीज़ सूरज को पसंद थी। वह थी उसकी गांड, यह सामान्य आकार से बड़ी थी लेकिन काफी सेक्सी और सुंदर थी। जब भी वह सफेद टाइट जींस और शॉर्ट टॉप पहनती थी तो वह सूरज के लिए परी होती थी।
वह चली गई और सूरज ने काम करना शुरू कर दिया। फिर एक विचार उसके दिमाग में आया। क्यों न वह रीया को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने की कोशिश करे। उसके बड़े नितंब बड़े लिंग के लिए एकदम सही थे। नीलू ने कहा कि उसे खुद ही लड़की ढूंढनी है, तो क्यों न वह रिया को ट्राई करे। फिर उसने घोड़े के लिंग के बारे में सोचा। क्या होगा अगर मैं रिया की चूत और बट में इतना बड़ा लिंग धकेल दूं। वह ऐसे विचारों से उत्तेजित हो गया। सूरज जानता था कि रिया को अपने बिस्तर पर लाना आसान नहीं था। लेकिन उसे उम्मीद थी क्योंकि रिया उसे पसंद करती थी।
दोपहर के भोजन के समय रिया अकेले कैफे में बैठी थी। सूरज को उसके साथ बात करने का अवसर दिखा।
“रोजमर्रा की व्यस्त जिंदगी में कभी-कभी हम दोस्तों से पूछना भूल जाते हैं कि वे कैसे हैं,” सूरज ने मुस्कराते हुए कहा।
रिया ने उसकी ओर देखा। उसकी आंखों में एक चमक थी, जैसे किसी ने उसके मन की बात कह दी हो। “तुम सही कह रहे हो सूरज जी। कभी-कभी मैं चाहती हूं कि हम काम के अलावा भी कुछ बात करें। लेकिन फिर सोचती हूं, शायद आपको पसंद न आए।”
सूरज ने गहरी सांस ली। “दरअसल, मेरे पास कुछ पारिवारिक समस्याएं थीं। मैं पहले उन्हें सुलझाना चाहता था। इसीलिए कभी-कभी मैं तुम पर वह ध्यान नहीं दे पाता था जिसके तुम हकदार हो। मुझे खेद है। हम काम के अलावा भी कुछ कर सकते थे।”
रिया की मुस्कान थोड़ी और गहरी हो गई। वह हल्का सा शर्मा गई, लेकिन उसकी आंखों में विश्वास था। “मैं समझ गई सूरज जी। मुझे पता था कि आप बुरे इंसान नहीं हैं। बस थोड़ा उलझे हुए थे।”
सूरज ने थोड़ी हिचकिचाहट के साथ कहा, “अगर आपको कोई आपत्ति न हो तो चलिए रिया जी, सप्ताहांत में बगीचे में टहलने चलते हैं और जीवन के बारे में बात करते हैं।”
रिया के दिल में एक हलचल हुई। यह प्रस्ताव उसके लिए अप्रत्याशित नहीं था, लेकिन फिर भी उसने खुद को संयमित रखा। “मुझे यकीन नहीं है कि मैं सप्ताहांत में आ पाऊंगी, मैं आपको कल बताऊंगी।”
सूरज ने मुस्कराते हुए सिर हिलाया। “ठीक है रिया जी। यदि इस सप्ताहांत नहीं तो हम किसी और दिन बात कर सकते हैं। यदि आप इस सप्ताहांत आती हैं तो मुझे खुशी होगी।”
रिया ने बस मुस्कराकर जवाब दिया। उस मुस्कान में संकोच भी था और उम्मीद भी। दोनों उठे और वापस ऑफिस की ओर चल दिए l
सूरज को रिया की ज़रूरत सिर्फ़ सेक्स के लिए थी। वो उसे एक बड़े लिंग से चोदना चाहता था और उसकी प्रतिक्रियाओं का आनंद लेना चाहता था। दरअसल रिया के भी कई राज़ थे। उसके पहले से ही दूसरे मर्दों के साथ सेक्स संबंध थे। वो भी सिर्फ़ सूरज के लिंग को आज़माना चाहती थी और उसे उन लड़कों के ग्रुप में शामिल करना चाहती थी जो हमेशा उससे चुदने के लिए तैयार रहते थे l
दोनों की योजना लगभग एक जैसी थी लेकिन वे इससे अनजान थे।