सूरज की उस लड़की से पहली मुलाकात-गुड़िया का वादा

सूरज की उस लड़की से पहली मुलाकात-गुड़िया का वादा

भाग 5

सूरज पूरे दिन बेचैन रहा। काम करने की कोशिश की, पर हर बार उसकी नज़र घड़ी पर जा टिकती। मिनट की सुई जैसे धीरे चलने लगी थी। हर पल उसे शाम के और पास, और नीलू के वादे के और करीब ले जा रहा था।

शाम होते ही आकाश ने अपना रंग बदला। हल्का सुनहरा सूरज ढलते-ढलते नीले साये में घुल गया। बगीचे की पत्तियाँ हवा में सरसराईं, और मिट्टी में नमी की महक उठने लगी — वही महक, जो उस पहली बारिश वाली रात में थी।

सूरज ने आईने में खुद को देखा, एक गहरी साँस ली और बाहर चला गया। उसकी नज़रें बार-बार गेट की ओर जा रही थीं। दिल की धड़कनें तेज़ थीं, लेकिन इस बार डर नहीं था — बस एक अनकहा इंतज़ार।

घड़ी ने छह बजाए ही थे कि सामने की सड़क पर सफेद कार आकर रुकी। सूरज के कदम अपने आप आगे बढ़ गए। कार का दरवाज़ा धीरे से खुला — और वही लड़की बाहर निकली और बगीचे की ओर तेजी से चलने लगी। वही चेहरा, लंबे बाल, उछलते-कूदते स्तन, हिलते हुए नितंब, बिल्कुल किसी सेक्सी गुड़िया की तरह। सूरज उसके पीछे-पीछे चलने लगा।

वह एक फूलों का पेड़ के नीचे रुक गई और  फूलों को देखने लगी। सूरज चुपचाप उसके पीछे खड़ा होगया । उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। उसे यकीन था कि वह आज उससे बात कर सकेगा । फिर वह पीछे मुड़ी और सूरज को देखा और बिना हिचक उसके पास आई। उसकी आवाज़ कोमल थी 


“मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मुझे लगा… मुझे यहाँ आना चाहिए। जैसे कोई बुला रहा हो।”

सूरज की उस लड़की से पहली मुलाकात-गुड़िया का वादा

सूरज ने कुछ नहीं कहा। उसकी आँखें उस लड़की से हटी ही नहीं। वह असमंजस में मुस्कुराया और बोला,
“मैंने भी यही महसूस किया था… कि तुम आओगी।”

दोनों कुछ पल तक एक-दूसरे को देखते रहे। हवा में एक अजीब-सी शांति थी, जैसे प्रकृति भी इस मुलाकात को महसूस कर रही हो।

“आज बारिश नहीं हो रही, फिर भी सब कुछ वैसा ही लग रहा है,” लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा।

सूरज उसकी बात सुनकर दंग रह गया, क्या उसने भी देखा कि वह कार में बैठा था और उसे देख रहा था।

उसने  सिर हिलाया। “हाँ, शायद कुछ बातें मौसम से नहीं, दिल से जुड़ी होती हैं।”

वह दोनों बगीचे में चलने लगे। हरी घास पर शाम की धूप के अंतिम कतरे चमक रहे थे। हवा हल्की थी, और पेड़ों की छाँव उनके ऊपर ठहर गई थी।

सूरज चुपचाप उसके साथ चल रहा था। उसे याद था  कि गुड़िया ने उससे कहा था कि वह कोई सवाल न पूछे।

लड़की ने एक गुलाब को छुआ और धीरे से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?”

“सूरज,” उसने जवाब दिया। “और तुम्हारा?”

वह कुछ पल सोचती रही, फिर मुस्कुराकर बोली, “आप मुझे परी कह सकते हैं l”

“आपका नाम सुंदर है, आप परी जैसी दिखती हैं।”

लड़की ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में एक अनकही चमक थी। “शायद हमारी ये मुलाकात यूँ ही नहीं हुई,” उसने धीरे से कहा। “मुझे ऐसा लग रहा है जैसे हम पहले भी कहीं मिले हैं…”

सूरज ने उसकी आँखों में झाँका — और पहली बार उसे डर नहीं, बल्कि अपनापन महसूस हुआ।
उसने मन ही मन कहा, “धन्यवाद, नीलू…”

वे चलते रहे, किसी को  कोई जल्दी नहीं थी।धीरे-धीरे काले बादल आसमान को ढकने लगे। फिर हल्की बूंदें गिरने लगीं। परी बूंदाबांदी का आनंद लेने लगी । जैसे ही पानी ने उसके सफेद लहंगे को गीला करने लगा , सूरज का दिल तेजी से धड़कने लगा। धीरे-धीरे उसकी गोरी त्वचा सफेद कपड़ों से उजागर होने लगी। बारिश बढ़ने लगी। उसकी पोशाक और बाल तेजी से गीले होने लगे। वह बिना किसी परवाह के बारिश का आनंद लेती रही। धीरे-धीरे उसका सफेद गीला लहंगा उसके शरीर से चिपकने लगा। 

“परी, मुझे लगता है कि हमें अंदर जाना चाहिए ।”सूरज ने धीरे से कहा l

“ सूरज, मैं आज बहुत खुश हूं। आओ और मुझे गले लगाओ।” उसकी आँखों में चमक थी l

सूरज आगे बढ़ा और उसे कसकर गले लगा लिया, उनके गीले शरीर मिले। कुछ देर तक वे एक साथ भीगते रहे। फिर परी ने जाने का फैसला किया। किसी ने फिर से मिलने का वादा नहीं किया लेकिन वे जानते थे कि वे जल्द ही फिर मिलेंगे।