बारिश की रहस्यमयी गुड़िया: सूरज और उस लड़की की अधूरी कहानी

बारिश की रहस्यमयी गुड़िया

भाग 1

बारिश शुरू हो चुकी थी। आसमान में बादल गरज रहे थे और सड़क पर पानी की बूंदें मोती की तरह गिर रही थीं। सूरज ने अपनी कार सड़क किनारे रोक दी थी। वह लगभग तीस साल का युवक था — शांत, सोच में डूबा हुआ, जैसे किसी अधूरी याद के बीच अटका हो। उसने कार का इंजन और लाइट बंद कर दीं और बारिश रुकने का इंतज़ार करने लगा।

तभी अचानक एक सफेद कार उसके ठीक आगे आकर रुकी। दरवाज़ा खुला और लगभग बीस साल की एक लड़की बाहर निकली। उसने सफेद टॉप और पायजामा पहन रखा था। लड़की ने जैसे ही घर की ओर दौड़ लगाई, सूरज की नज़र उस पर टिक गई। उसके स्तन उसके कदमों के साथ उछल रहे थे। सूरज की नजर उन पर रुक गई। उसके उछलते स्तन उसके दिल में अजीब हलचल पैदा करने लगे।

जैसे ही वह कार के पास से भागी ,सूरज ने अपनी कार की खिड़की खोली और उसके हिलते हुए नितंबों को देखने लगा। उसके नितम्बों और चाल में अजीब आकर्षण था। सूरज के लिंग में खून भरने लगा। 

कुछ ही सेकंड में वह लड़की गायब हो गई। सूरज ने खिड़की बंद की और बारिश की बूंदों को शीशे पर नाचते हुए देखने लगा। पता ही नहीं चला कब उसकी आँखें बंद हुईं और वह कार में ही सो गया।

जब उसकी नींद खुली, तब बारिश लगभग थम चुकी थी। वातावरण में नमी और मिट्टी की खुशबू थी। चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। उसने देखा, सामने वाली कार गायब थी। “वह चली गई,” उसने खुद से फुसफुसाया।

वह कार से बाहर निकला और अचानक उसकी नज़र कार की छत पर पड़ी। वहाँ एक सुंदर सी गुड़िया रखी थी — नीली सिल्की फ्रॉक में, लंबे भूरे बालों वाली, मुस्कुराती हुई। 

बारिश की रहस्यमयी गुड़िया: सूरज और उस लड़की की अधूरी कहानी

सूरज चौंक गया, “ये यहाँ किसने रखी?” उसने आस-पास देखा, पर सड़क पर कोई नहीं था। वह गुड़िया को अपने साथ घर ले आया और उसे शेल्फ पर सजा दिया।

गुड़िया सचमुच खूबसूरत थी। सूरज के घर में यह पहली चीज़ थी जो किसी और की थी। उसके पास न कोई खिलौना था, न कोई साथी। शायद इसीलिए उसने उस गुड़िया से एक अनकहा लगाव महसूस किया।

थोड़ी देर बाद वह कंप्यूटर पर काम करने बैठ गया। लेकिन तभी कमरे में एक अजीब सी खुशबू फैलने लगी — मधुर, आकर्षक, और कुछ रहस्यमयी सी। उसने चारों ओर देखा। खुशबू का स्रोत कहीं नहीं दिखा। उसकी नज़र गुड़िया पर गई — वही मुस्कान, वही चमकती आँखें।

वह धीरे से उठा, गुड़िया के पास गया, और उसके कपड़ों को सूँघा — पर वहाँ कुछ नहीं था। उसने सिर हिलाया और फिर से काम पर बैठ गया। कुछ देर में खुशबू गायब हो गई। 

रात गहराने लगी। बाहर फिर से हल्की बारिश शुरू हो गई थी। सूरज ने खिड़की से बाहर झाँका । गली में केवल उसकी कार और बारिश का पानी था। तभी उसे उस लड़की का ख्याल आया। उसके उछलते स्तन और हिलते हुए नितंब उसकी आँखों के सामने घूम गए।

धीरे-धीरे उसका लिंग फिर  खून से भरने लगा। वह मुस्कुराया और बिस्तर पर लेट गया। उसे नींद नहीं आ रही थी। उस लड़की ने उसे उत्तेजित कर दिया। उसने अपना लिंग बाहर निकाला और उसके साथ खेले लगा।जब लिंग अपने पूरे आकार में आया तो उसने वही किया जो वह हमेशा करता था। लेकिन आज एहसास और आनंद अलग था।

उसने गुड़िया की तरफ देखा, उसकी आँखें पहले से भी ज्यादा चमक रही थी। सूरज ने सोचा कि शायद यह रात की वजह से है। वह मुस्कुराया और बोला, “अगर तुम असली होती तो मैं तुम्हारे अंदर  लिंग डालना पसंद करता।”तभी खिड़की से हवा का झोंका आया और गुड़िया का नीला फ्रॉक उड़ गया। उसकी सफेद अंडरवियर चमक उठी। सूरज यह देखकर दंग रह गया। उसे लगा  कि गुड़िया भी उससे सहमत थी।

वह बिस्तर से खड़ा हुआ और गुड़िया को अपने हाथ में पकड़ लिया। “तुम बहुत शरारती हो। मेरा लिंग कोई खिलौना नहीं है।” वह मुस्कुराया और गुड़िया को वापस शेल्फ पर रख दिया।

वह बिस्तर पर लेट गया और अपनी आँखें बंद कर लीं। वह लगभग सो रहा था तभी उसने एक आवाज सुनी। “अगर मैं असली लड़की बन जाऊं, तो क्या तुम मुझे वह दे सकते हो जो मैं चाहती हूँ।”

सूरज ने अपनी भारी आँखें खोलीं। उसने चारों ओर देखा। अच्छा सपना। “हर लड़की की कई मांगें होती हैं। पुरुष की इच्छा के बारे में क्या?”

उसने फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं और सो गया।