पूनम की अधूरी रातें: जब चाहतें अनसुनी रह जाती हैं

पूनम की अधूरी रातें: जब चाहतें अनसुनी रह जाती हैं -भाग 1

पूनम तौलिया पहने हुए स्नान कक्ष से आई। रात का समय था। कमरे में मंद रोशनी थी। बिस्तर पूरी तरह से गर्म शरीर को छूने के लिए तैयार था। पूनम बहुत जुनून और सपनों के साथ बिस्तर को देख रही थी। तभी रिंकू, उसका पति अंदर आया। उसने उसे पीछे से पकड़ लिया। “आज बहुत हॉट लग रही है।” उसने उसका तौलिया छीन लिया। वह उसके नितंबों पर हाथ फेरने लगा। फिर वह उसकी योनि पर हाथ ले गया। “वाह, यह पहले से ही गीली है।” पूनम हमेशा नहाते समय इसे सुगंधित तेल से मालिश करती और  तैयार करती थी । वह चाहती थी कि उसका पति कुछ नया करे। 

रिंकू ने बिना समय बर्बाद किये अपना पजामा नीचे किया और अपना कठोर लिंग पीछे से पूनम की चूत में डाल दिया। पूनम  चिल्लाई और बिस्तर की ओर झुक गई। रिंकू ने उसके नितंबों को पकड़ते हुए अपने लिंग को जोर से धकेलना शुरू कर दिया। कुछ ही मिनटों में उसने अपना वीर्य उसकी चूत में गहराई तक डाल दिया। “डार्लिंग तुम्हारी चूत अभी भी बहुत टाइट है।” रिंकू ने कहा और अपना लिंग बाहर निकाल लिया। पूनम बहुत शांत थी और उदास आँखों से तैयार बिस्तर को देख रही थी। उसका पति उसके साथ सेक्स डॉल जैसा व्यवहार कर रहा था।

पूनम की अधूरी रातें: जब चाहतें अनसुनी रह जाती हैं

पूनम की शादी को तीन साल हो चुके थे, और इन तीन सालों में उसने अपने वैवाहिक जीवन के कई पहलुओं को करीब से देखा था। रिंकू, उसका पति, एक जिम्मेदार और मेहनती व्यक्ति था। वह घर के सभी कामों में हाथ बंटाता, आर्थिक रूप से परिवार को सहारा देता और पूनम की हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखता था। समाज की नजरों में वह एक आदर्श पति था, और पूनम भी इस बात को मानती थी। लेकिन, उनके रिश्ते में एक ऐसी कमी थी जो पूनम के दिल में एक खालीपन छोड़ जाती थी। यह कमी शारीरिक अंतरंगता से जुड़ी थी, लेकिन सिर्फ शारीरिक क्रिया तक सीमित नहीं थी। पूनम के लिए, सेक्स सिर्फ एक शारीरिक क्रिया नहीं थी — वह चाहती थी कि रिंकू उसे महसूस करे, छुए, उसकी भावनाओं को समझे, और उस पल में पूरी तरह से उसके साथ मौजूद रहे। वह चाहती थी कि उनके बीच का यह जुड़ाव सिर्फ शरीर का नहीं, बल्कि आत्मा का भी हो।

हर रात, पूनम एक नई उम्मीद के साथ बिस्तर पर जाती थी। वह सोचती थी कि शायद आज रिंकू कुछ अलग करेगा, शायद वह उसे प्यार से देखेगा, उसके बालों को सहलाएगा, या उसके कानों में कुछ मीठी बातें कहेगा। लेकिन उसकी उम्मीदें अक्सर टूट जाती थीं। रिंकू हमेशा जल्दी में होता था, जैसे कि यह एक कर्तव्य हो जिसे उसे पूरा करना है। उसके स्पर्श में वह गर्माहट और भावनाएं नहीं होती थीं जिनकी पूनम को तलाश थी। यह एक यांत्रिक प्रक्रिया बन गई थी, जिसमें पूनम को सिर्फ एक शरीर के रूप में देखा जाता था, न कि एक संपूर्ण व्यक्ति के रूप में जिसकी अपनी भावनाएं और इच्छाएं हों। पूनम की आँखों में अधूरी चाहतें थीं, और दिल में एक सवाल — क्या मैं कुछ ऐसा चाह रही हूँ  जो उसके पति के लिए संभव नहीं।

धीरे-धीरे, यह खालीपन उसकी शांति में खलल डालने लगl । उसने महसूस किया कि वह सिर्फ एक शरीर बनकर रह गई है, एक भावना नहीं। उसके अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनदेखा किया जा रहा था। यह अहसास उसे अंदर से खोखला कर रहा था। उसकी आत्मा छटपटाने लगी, जैसे एक पिंजरे में बंद पंछी आजादी के लिए तड़पता है। वह अपने भीतर की इस बेचैनी को अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसने कई बार रिंकू से बात करने की कोशिश की, लेकिन उसकी बातें या तो अनसुनी कर दी जाती थीं, या फिर रिंकू उन्हें गंभीरता से नहीं लेता था। 

एक दिन उसने जीवन में आगे बढ़ने और अपनी यौन इच्छाओं को बाहर पूरा करने का फैसला किया l

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