नीलू गुड़िया ने खोले अपने राज
भाग 15
दोपहर की चाय की चुस्कियों के बीच सूरज की आँखों में एक अजीब सी शांति थी। वह अपनी गुड़िया की ओर देखता है, जैसे किसी पुराने वादे की याद उसे भीतर से खींच रही हो।
“नीलू, कुछ तो बोलो,” सूरज ने मुस्कराते हुए कहा। “देखो, आज का दिन कितना सुंदर है। जैसे किसी कहानी की शुरुआत हो।”
गुड़िया की आँखें चमक उठीं। उसकी आवाज कमरे में फिर गूंजने लगी, जैसे किसी पुराने संगीत की धुन फिर से बज उठी हो। “हाँ सूरज, यह वही दिन है जिसका मैं बरसों से इंतज़ार कर रही थी। लेकिन पहले बताओ, तुम्हें रिया कैसी लगी?”
सूरज ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, “वो ठीक थी, लेकिन उस रहस्यमयी लड़की जैसी नहीं… जिसे मैं हर रात बिस्तर पर मिलता था । रिया से दोबारा मिलने का कोई इरादा नहीं है।”
नीलू की हँसी कमरे में गूंज उठी। सूरज चौंक गया। “नीलू, तुम्हारी आवाज फिर से गूंज रही है… ऐसा लग रहा है जैसे तुम फिर से मेरी परी बन गई हो।”
“सूरज,” नीलू ने कहा, “आज वो दिन है जब हम अपने वादे पूरे करेंगे। तुमने मेरी हर इच्छा पूरी की, अब मेरी बारी है। मैं तुम्हारे सामने आना चाहती हूँ, अपने सारे रहस्य खोलना चाहती हूँ। हम हमेशा के लिए साथ रहेंगे।”
सूरज की आँखें चमक उठीं। “मैं उस दिन का इंतज़ार कर रहा था जब तुम एक असली लड़की बन जाओगी। बताओ, मुझे क्या करना होगा?”
गुड़िया कुछ देर चुप रही, फिर बोली, “बगीचे में जाओ, वहाँ परी तुम्हारा इंतज़ार कर रही है।”
सूरज ने चाय का कप नीचे रखा और घर से बाहर निकल गया। दरवाज़ा उसके पीछे ऐसे बंद हुआ जैसे कोई अध्याय समाप्त हो गया हो। वह बगीचे की ओर बढ़ा, और वहाँ फूलों के पेड़ के नीचे परी खड़ी थी—सपनों जैसी सुंदर, रहस्यमयी।
“तुम बहुत सुंदर लग रही हो,” सूरज ने कहा। “मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था, लेकिन नहीं जानता था कि तुम आज आओगी।”
परी मुस्कराई और अपनी बाँहें फैला दीं। “आओ सूरज, मुझे गले लगाओ।”
सूरज ने उसे गले लगाया। उसकी आँखें बंद हुईं, और जब खोलीं, तो वह एक अजीब लेकिन सुंदर बगीचे में था—वही जो उसने कभी सपनों में देखा था।
“मैं वही हूँ सूरज,” परी ने कहा। “मैं ही तुम्हारी गुड़िया हूँ। मैं ही वह अजनबी लड़की हूँ जिसे तुम हर रात मिलते थे।”
सूरज ने चारों ओर देखा। “यह सब एक सपना जैसा लग रहा है…”
“तुम गुड़िया क्यों बनी ? , परी।”
“बहुत समय पहले एक लड़की ने तुम्हें मुझसे चुरा लिया था। वह तुम्हें मानव दुनिया में ले गई। मैं तुम्हें वापस लाना चाहती थी , इसलिए मुझे तुम्हारी दुनिया में एक गुड़िया बनना पढ़ा।”
“तुमने मुझे नीलू नाम दिया । जब हम पहले साथ थे, तब यह मेरा असली नाम था। मैं खुश हूँ क्योंकि तुम्हें अभी भी मेरा नाम याद है।”
“मैं भी खुश हूं कि हम फिर से साथ हैं ,नीलू। लेकिन वह बुरी लड़की कौन थी जिसने मुझे तुमसे छीन लिया ?”
नीलू कुछ देर चुप रही, फिर बोली। “वह रिया थी।”
“क्या ? वह रिया थी।”
“हां,सूरज l” नीलू ने थोड़ा गुस्से से कहा।
“अगर मुझे पहले पता होता तो मैं उसे खत्म कर देता । वह बहुत बुरी है।”उसकी आँखों में भी गुस्सा था l
“तुम पहले ही यह कर चुके हो सूरज। रिया जीवित नहीं है।” नीलू मुस्कुराई।
“तुमने पुराने बदले की वजह से मेरे लिंग का आकार बढ़ा दिया था।”
“हां, क्योंकि उसने सेक्स के कारण तुम्हें मुझसे छीन लिया था। उसे सेक्स के साथ ही मरना था l “