दुल्हन की पहली कामुक रात (+18)

 

यह उसकी शादी की रात थी, अंजू लाल रंग की सजी हुई साड़ी में बैठी थी, वह जानती थी कि वह पहली बार अपने पति के साथ सोने जा रही थी, वह थोड़ी डरी हुई थी और ऊतेजीत  थी, वह शादी से पहले अपने पति से केवल कुछ ही बार मिली थी, भारतीय परंपरा के अनुसार, अंजू और परम  के परिवारों ने उनकी शादी तय की थी। अंजू हमेशा से एक शर्मीली और मासूम लड़की थी, जिसका पालन-पोषण एक रूढ़िवादी और पारंपरिक परिवार में हुआ था। उसे अपने पति का सम्मान करना और उसकी आज्ञा का पालन करना और उसके निर्णयों पर कभी सवाल नहीं उठाना सिखाया गया था। अंजू कुंवारी लड़की थी, उसे किसी भी तरह का सेक्स अनुभव नहीं था। दरअसल उसने कभी किसी आदमी को पूरा नंगा भी  नहीं देखा था l उसके होने वाले पति ने भी उससे सेक्स के बारे में बात नहीं की थी । वह जानती थी  कि आज रात उसके नए पति के साथ सेक्स मुख्य विषय हो सकता था l 

जैसे-जैसे रात करीब आ रही थी, अंजू का दिल नए अनुभवों के लिए धड़क रहा था।फिर वह समय आया,जब वह गुलाब की पंखुड़ियों और सुगंधित मोमबत्तियों से सजे उनके शयनकक्ष की ओर चलने  लगी । परम पहले से ही उसका इंतज़ार कर रहा था, उसकी आँखों में प्यार और चाहत भरी हुई थी। अंजू  का दिल तेजी से धड़कने लगा जब परम ने उसे गले लगाया और धीरे से बिस्तर की ओर ले गया। परम ने बात करना शुरू किया, लेकिन अंजू के जवाब बहुत छोटे थे, वह सेक्स को लेकर ऊतेजीत  थी, उसे नहीं पता था कि परम उसके साथ कैसा व्यवहार करेगा , वह आक्रामक व्यवहार से थोड़ा डर रही थी,बात करते-करते परम ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसे चूमना शुरू कर दिया, वह शर्मा  कर वापस चूमन  नहीं कर रही थी,धीरे-धीरे उसने अपना हाथ उसके ब्लाउज पर घुमाया, वह उसके दिल की धड़कन को महसूस कर सकता था, अंजू ने अपनी आँखें बंद कर लीं। जैसे ही परम ने  ब्लाउज  का पहला बटन खोला, वह धीरे से चिल्लाईl 

उसने बटन खोलना जारी रखा। अंजू का शरीर गीला हो रहा था l  उसने धीरे से उसका ब्लाउज उतार दिया, फिर उसने उसके पेट को चूमा,अंजू अपने बदन को समेट रही थीl फिर उसने धीरे से उसकी साड़ी खोली,जब परम ने अपने कपड़े उतारे तो अंजू ने शर्म से अपनी पीठ उसकी ओर कर ली lअंजू की कोमल त्वचा लाल ब्रा और अंडरवियर में चमक रही थी, जब परम ने उसकी ब्रा का हुक खोला तो उसने उसे जोर से बाहों में ले लिया l 

अंजू ने उस पर पूरा भरोसा करते हुए खुद को उसके हवाले कर दिया। जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, अंजू और परम  के शरीर एक हो गए, उनकी आत्माएँ एक-दूसरे में विलीन हो गईं। यह जोश, प्यार और कोमलता से भरी रात थी। अंजू ने पहले कभी इतना जीवंत और संपूर्ण महसूस नहीं किया था। 

अंजू को संतोष और खुशी की अनुभूति हुई, यह जानकर कि उसे परम में अपना जीवनसाथी मिल गया था ।