गुड़िया का सूरज को सरप्राइज – रहस्यमय लड़की फिर मुलाकात

गुड़िया का सूरज को सरप्राइज - रहस्यमय लड़की फिर मुलाकात

भाग 10

सुबह की धूप खिड़की से छनकर कमरे में फैल रही थी। हल्की सुनहरी रोशनी ने दीवारों को छुआ, और एक नर्म गर्माहट पूरे कमरे में भर गई। सूरज की आँखें खुलीं  तो नीलू गुड़िया उसे मुस्कुराती नज़र आई। सूरज को  पिछली रात की बातें  याद आईं — और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान तैर गई।

वह उठा, नहाया, और फिर गुड़िया के पास गया। शायद गुड़िया भी उसका  ही इंतज़ार कर रही थी।
“चलो, अब तुम्हें कपड़े पहनाते हैं, मैडम,” उसने हँसते हुए कहा।


उसने नीलू को साफ-सुथरे नीले कपड़े पहनाए, उसके बाल ठीक किए और सावधानी से उसे शेल्फ पर बैठा दिया।

थोड़ी देर तक वह गुड़िया को देखता रहा — जैसे वह किसी जीवित साथी की तरह उसके साथ कमरे में मौजूद हो। फिर उसने मज़ाक में पूछा,
“तो बताओ, नीलू, तुम्हारी रात कैसी रही?”

नीलू की आँखों में हल्की चमक उभरी।

 “यह अद्भुत थी,” उसने कोमल आवाज़ में कहा। “मैं लंबे समय से इस पल का इंतज़ार कर रही थी… धन्यवाद, सूरज। आज मैं तुम्हें एक सरप्राइज़ देना चाहती हूँ।”

सूरज ने भौंहें उठाईं। “सरप्राइज़? क्या है नीलू?” उसने हँसते हुए पूछा।

नीलू के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान आई।
“तुम बाहर जा रहे हो ना? जब वापस आओगे, तब बताऊँगी,” उसने हल्के ठहाके के साथ कहा।

गुड़िया का सूरज को सरप्राइज - रहस्यमय लड़की फिर मुलाकात

सूरज मुस्कुरा उठा। “अब तो तुम पूरी तरह शरारती गुड़िया बन गई हो, नीलू।”

वह नीलू की ओर एक आख़िरी नज़र डालकर कमरे से बाहर चला गया।

आज ऑफिस की छुट्टी थी। मौसम सुहावना था — हवा में फूलों की खुशबू घुली थी। सूरज ने तय किया कि थोड़ी देर बगीचे में टहल ले।
पत्तियों पर अभी भी रात की ओस चमक रही थी। नीला आसमान, गुनगुनी धूप, और आसपास की हरियाली — सब कुछ असामान्य रूप से शांत और सुंदर लग रहा था।

वह फूलों के पेड़ों के बीच धीरे-धीरे चलता रहा। तभी किसी ने पीछे से उसका नाम पुकारा —
“सूरज…!”

वह ठिठक गया। उस आवाज़ में कुछ जाना-पहचाना था। उसने मुड़कर देखा — और उसकी साँसें थम गईं।

फूलों के पेड़ों के बीच परी खड़ी थी। हल्के गुलाबी कपड़ों में, हवा में लहराते बालों के साथ, वह किसी सपने से निकली हुई लग रही थी। उसकी आँखों में वही चमक थी — कोमल, पर गहराई से भरी हुई।

“तुम… परी… यहाँ?” सूरज की आवाज़ धीमी थी, जैसे उसे यकीन न हो।

परी मुस्कुराई। “क्यों? तुम्हें देखकर अच्छा नहीं लगा?”

सूरज उसकी ओर बढ़ा, धीरे से उसका हाथ थाम लिया।
“अच्छा? नहीं, बहुत अच्छा। मैं सोच भी नहीं सकता था कि तुम्हें इतनी जल्दी फिर देखूँगा।”

परी ने धीरे से कहा, “शायद हमें फिर मिलना ही था।”

दोनों फूलों के पेड़ों के बीच टहलने लगे। हल्की हवा बह रही थी, पेड़ों की शाखाओं से कुछ फूल नीचे गिर रहे थे।सूरज उसके साथ चलने लगा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वे सालों से साथ हैं और परी उसका  ही इंतजार कर रही थी ।

“तुम बहुत शांत हो,” परी ने मुस्कुराकर कहा।
“क्योंकि मैं सोच रहा हूँ कि… तुम यहाँ कैसे?” सूरज बोला।
परी ने उसकी ओर देखा — उसकी आँखों में एक रहस्य था।
“कभी-कभी लोग नहीं, भावनाएँ लौटती हैं, सूरज। शायद मैं भी उन्हीं में से एक हूँ।”

सूरज ने कुछ समझने की कोशिश की, लेकिन उसके शब्दों से ज़्यादा उसकी उपस्थिति बोल रही थी। उस पल, हवा में, पेड़ों की सरसराहट में, सब कुछ एक कहानी कह रहा था —
एक ऐसी कहानी जो शायद नीलू ने पहले से लिख दी थी।

सूरज परी से मिलने के बाद घर जा रहा था। आज परी से मिलने के बाद उसके प्रति उसका नजरिया बदल गया। अब वह उसके शरीर से ज्यादा उसकी बातों में दिलचस्पी लेने लगा।

उसने दरवाजा खोला और गुड़िया को देखा। वह हमेशा की तरह मुस्कुरा रही थी। “नीलू ,तुम सब जानती हैं कि मैं क्या सोच रहा हूँ।”

 “मेरा सप्राइज़ कैसा था, सूरज ?” उसकी आँखों में मजाक और शरारत थी।

“धन्यवाद नीलू,तुम्हारा सप्राइज़ अद्भुत था l” सूरज ने मुस्कुराते हुए कहा l लेकिन नीलू परी कोई वादा क्यों नहीं करती वह हमेशा कहती है कि हम मिलेंगे, मुझे समझ नहीं आ रहा कि हमारे रिश्ते का नाम क्या है? 

“तुम उसके साथ किस तरह का रिश्ता चाहते हो, सूरज ?“

“मुझे भी नहीं पता,” सूरज मुस्कुराया। “पहले मुझे उसका शरीर पसंद था लेकिन अब मुझे उसकी बातें और व्यवहार पसंद हैं।“

“सूरज तुम्हें जल्दी फैसला करने की जरूरत नहीं है। समय तय करेगा। उससे मिलते रहो।”