ख़ामोशी और अकेलेपन की कविताएँ
.इस कविता संग्रह में, हम उन भावनाओं को शब्द देते हैं जो अक्सर चुप्पी में दब जाती हैं। ख़ामोशी और अकेलापन सिर्फ़ भाव नहीं — एक अनुभव है, जो हर किसी ने कभी न कभी जिया है। यहाँ की कविताएँ आत्मचिंतन, टूटन, और भीतर की आवाज़ को उजागर करती हैं। हर पंक्ति एक सिसकी है, हर कविता एक ख़ामोश पुकार। पढ़िए, महसूस कीजिए, और उस मौन को समझिए जो सबसे ज़्यादा बोलता है।
खामोश रात
तेरे बिना ये रातें बहुत लंबी हैं,
जैसे कोई कहानी बिना अंत के।
तेरी ख़ामोशी अब मेरी आदत बन गई है,
हर बात में तेरा नाम ढूँढता हूँ।
तू जो कहता नहीं, वो मैं सुनता हूँ,
तेरे सन्नाटे में भी आवाज़ें हैं।
दिल अब तुझसे शिकायत नहीं करता,
बस तेरे लौटने की उम्मीद रखता है।
तू आए या न आए,
मैं तुझसे मोहब्बत करता रहूँगा।
बारिश की शाम
बारिश की ठंडी बूंदें आज कुछ ज़्यादा ही सुलग रही हैं,
ये भी जानती हैं कि मैं उसे आज फिर से याद कर रही हूँ।
खिड़की से टकराती हर बूँद जैसे उसका नाम फुसफुसाती है,
और मैं हथेलियों पर गिरती नमी में उसकी धड़कन सुनती हूँ।
सड़क के मोड़ पर अब भी आँखें ठहरी हुई हैं मेरी,
शायद वही चले आए — भीगता हुआ, हल्के से मुस्कुराता हुआ।
हवा में भी आज वही ख़ुशबू है — जैसे उसकी साँसों की,
ये शाम भी शायद उसी के लिए थमी हुई साँसों में सिमट गई है।
मैं कोई इल्ज़ाम नहीं — बस एक इंतज़ार हूँ अब भी,
धड़कनें नहीं पूछतीं वजहें… वो बस लौट आने की दुआ करती हैं।
अगर आज भी वो ना आए — तो भी ये बारिश बुरी नहीं लगेगी,
क्योंकि हर बूँद मुझे ये कहती है — “तू उसके प्यार में अभी भी जिंदा है…”
तेरे आने की आस
बिस्तर के इस कोने पर चुपचाप लेटी हूँ मैं,
दरवाज़े को बस लगातार देखती जा रही हूँ।
बाहर बारिश थमने का नाम नहीं ले रही,
और मेरे दिल में तेरे आने की उम्मीद भी।
सोचती हूँ — अगर तू आज इस भीगी शाम में आ जाए,
तो मैं बिना कुछ कहे… तेरी हो जाऊँ हमेशा के लिए।
तेरे कदमों की आहट ही मेरी दुनिया बदल देगी,
ये बरसती रात मेरी तकदीर को मोड़ देगी।
मेरी पलकों पर ठहरी एक नन्ही सी विनती है बस,
तू दरवाज़े पर दिख जाए… तो मैं हर जन्म तेरी रहूँगी।
धुंधली रौशनी में उम्मीद
दरवाज़े की चौखट पर खड़ी काँप रही हूँ मैं हल्के मौसम में,
बारिश की बूंदें मेरे बालों से टपकती हैं — पर दिल सिर्फ तुझे याद करे।
सड़क अँधेरी है… पर दूर कहीं एक धुंधली रोशनी टिमटिमा रही है,
और मेरी सांसे थम-सी जाती हैं — क्या तू वहीं कहीं आ रहा है?
हर बूँद जैसे तेरे कदमों की आहट बनकर गिरती है ज़मीन पर,
और मैं उस हर आवाज़ में तुझे ढूँढ़ने की कोशिश करती हूँ हर पल।
दिल कहता है — बस अब और नहीं… तू इस बार ज़रूर लौटेगा,
किस्मत को भी मोड़ देगी मेरी आँखों की ये बिन बोली प्रार्थना।
अगर वो धुंधली रौशनी सच में तेरी मौजूदगी बन जाए आज,
तो मैं इस भीगी शाम में अपना पूरा जीवन तेरे नाम लिख दूँगी।
क्योंकि इंतज़ार सिर्फ तुझसे मिलने का नहीं — तुझमें खुद को खो देने का है…
तेरी हो जाऊँ
बिस्तर पे बैठी, खिड़की से बाहर देखती,
बरसती बूंदों में तेरा चेहरा ढूँढती।
दरवाज़ा हर पल मेरी उम्मीद बन गया है,
हर दस्तक में तेरा नाम सुनाई देता है।
हवा तेरे होने की ख़ुशबू लाती है,
पर तू नहीं — सिर्फ़ तड़प रह जाती है।
दिल कहता है, तू आए तो सब दे दूँ,
ख़ुद को, साँसों को, ये अधूरी कहानी भी।
अगर तू इस शाम लौट आए,
मैं तेरी हो जाऊँ — हमेशा के लिए।