प्रेम में इंतज़ार की कविताएँ
इंतज़ार की ये कविताएँ उन पलों को शब्द देती हैं, जब दिल किसी के लौट आने की उम्मीद में धड़कता है। यहाँ आपको प्रेम, विरह, अधूरी मोहब्बत और तड़प से भरी रचनाएँ मिलेंगी — जो ख़ामोशी में भी बोलती हैं और चुप्पी में भी पुकारती हैं। हर कविता एक कहानी है, जो इंतज़ार की गहराई को छूती है। पढ़िए, महसूस कीजिए, और उस भाव को समझिए जो सिर्फ़ इंतज़ार में जन्म लेता है।
इंतज़ार की ख़ामोशी
दरवाज़ा खुला है, पर तू नहीं आया,
हर आहट में तेरा नाम पुकारा।
चाय ठंडी हो गई, शाम भी,
पर दिल की गर्मी तुझसे ही बाकी है।
मैं कुछ नहीं कहती, बस देखती हूँ,
तेरी परछाई को हवा में ढूँढती हूँ।
ख़ामोशी अब मेरी आदत बन गई है,
तेरे इंतज़ार में साँसें भी धीमी हैं।
अगर तू लौट आए, तो सब कहूँगी,
वरना ये चुप्पी ही मेरी कहानी है।
तू लौट आए तो...
समुद्र की लहरें आज बेचैन हैं,
जैसे मेरी साँसें — बिखरी हुई।
काले बादल दिल पर छा गए हैं,
तेरे लौटने की उम्मीद अब डर से लड़ रही है।
मैंने रेत पर तेरा नाम लिखा था,
पर लहरें उसे बार-बार मिटा देती हैं।
तू कहता था — तूफ़ान तुझे नहीं डराते,
पर मुझे तेरी हिम्मत से भी डर लगता है।
अगर तू लौट आए, तो मैं सब भूल जाऊँ,
वरना ये इंतज़ार ही मेरी आख़िरी दुआ है।
तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी
बैठी हूँ उस चट्टान पर, जहाँ तू मुझे छोड़ गया था,
समुद्र गरज रहा है — जैसे मेरा दिल।
तेरी नाव का कोई निशान नहीं,
और बादल मेरी आँखों से बातें कर रहे हैं।
हर लहर तुझसे सवाल करती है,
और मैं जवाब में बस रो देती हूँ।
तूफ़ान पास है, पर तू नहीं,
तेरे बिना ये डर और गहरा लगता है।
अगर तू जानता मेरी हालत,
तो शायद तूफ़ान से पहले लौट आता।
लहरों से तेरा नाम पूछती हूँ
समुद्र की हर लहर से तेरा नाम पूछती हूँ,
पर जवाब में सिर्फ़ सिसकियाँ मिलती हैं।
बादल गरजते हैं — जैसे मेरी बेचैनी,
तेरी नाव का कोई निशान नहीं दिखता।
मैंने रेत पर तेरा चेहरा उकेरा था,
अब वो भी तूफ़ान से डरकर मिट गया।
तेरे वादे याद हैं — “मैं लौटूँगा”,
पर वक़्त अब उन शब्दों को बहा ले गया।
अगर तू नहीं आया, तो मैं क्या कहूँगी?
शायद यही — कि मैंने तुझसे मोहब्बत की थी।